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मेरा पहला वाला गांव -21-Dec-2022

कविता - मेरा पहला वाला गांव 



मेरा पहला वाला गांव

बरगद पीपल नीम की छांव

           मैं तुमको ढूंढ रहा हूं।  २


सोहर गारी कजरी गीत

पास पड़ोसी वाला प्रीति

सुंदर संस्कारों की रीति

मन मंदिर की सुसंगीत

           मैं तुमको ढूंढ रहा हूं।  २


सब  दिन के सुबहों शाम

घर में होते तीर्थ धाम

बसते कृष्ण मुरारी राम

घर का सुखद प्रिय अभिराम

           मैं तुमको ढूंढ रहा हूं।  २


दादा दादी का वो प्यार

मीठी रिश्तों भरा दुलार 

बड़े बुजुर्गो वाला प्यार

यही दुनिया यही संसार

           मैं तुमको ढूंढ रहा हूं।  २


ताल तलैया नदी मझार

दादुर पपिहा की ओ गुहार

सावन की ठंडी बौछार

छूटे आजा साथी यार

           मैं तुमको ढूंढ रहा हूं।  २



नन्हे मुन्ने हाट बाजार

खुद के तीर और तलवार

पतंगें वाला वह त्योहार

ऊंची ऊंची गगन उड़ान

            मैं तुमको ढूंढ रहा हूं।  २



गेहूं धानों वाली बाल

फैले दूर तलक खलियान

हल से जोते खेत किसान

जो थे गरिमा और सम्मान

              मैं तुमको ढूंढ रहा हूं।  २


रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर यू 









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1 Comments

Abhilasha deshpande

21-Dec-2022 05:12 PM

ला जवाब रचना आदरणीय

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